Thursday, May 17, 2012

एक आदत माँ के पाँव छूने की...

जन्नत के प्रहरी भी उनके स्वागत को बेताब होंगे।
सुबह माँ के पाँव छूने की जिन्हें आदत सी हो गयी है।
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'

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