Thursday, March 8, 2012

हमने सच्ची मोहब्बत कर ली...

हमने सच्ची मोहब्बत कर ली।
एक खाव्हिश थी जो पूरी कर ली॥

उसने एक रोज हिलाया था हाथ हवा में।
हमने हवाओं से भी मोहब्बत कर ली॥

जैसे टूटता है तारा वैसे टूटा है दिल मेरा।
यही सोचते है हमने क्यों दिल्लगी कर ली॥

उसकी यादें भी कितना सहारा देंगी मुझे।
जिंदगी से हमने जो बगावत कर ली॥

कभी तेरा जिक्र जो किया किसी ने।
हमने उससे फिर दोस्ती कर ली॥

न दौलत की चाह रखते हैं न शोहरत की।
एक तुझे ही पाने की कोशिश कर ली॥

तुमने समझा नहीं खुद के लायक हमें।
इसलिए दूरी हमसे तुमने जरुरी कर ली॥
-प्रवीण तिवारी 'रौनक'

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