Monday, October 3, 2011

चले थे डायरी लिखने शायरी लिख गए...

''सोचा की,जिंदगी के कुछ लम्हों को कैद कर लूं शब्दों में,
इसी जद्दोजहद में चले थे डायरी लिखने,शायरी लिख गए। ''
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'


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