Saturday, October 29, 2011

मुझे एक गलतफैमी हो गयी...

''किसी की बातों में चाहत थी इतनी,
की बस, मुझे एक गलतफैमी हो गयी।
और नींदों में भी यही हम सोचते रहे,
शायद उसे भी मुझसे मोहब्बत हो गयी। ''
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'

Sunday, October 23, 2011

मुझे वो अपना ख्याल देता है...

मेरी सारी बातों को वो दिल से निकाल देता है
बड़ी कोशिशों के बाद मुझे वो अपना हाल देता है॥

एक बात जो लबों पर बसी है, मैं उससे कहूँ कैसे,
मेरी एसी बातों को वो हंसी में टाल देता है।

तमाम लम्हें गुजारे मैंने उसे अपना बनाने में लेकिन,
मेरे हर एक जवाब पे मुझे वो कई सवाल देता है।

उसकी आहट की दीवानगी इस कदर है मेरे जेहन में,
की कही भी होता है मुझे वो अपना ख्याल देता है।

जिसकी हैसियत भी नहीं है काटों के लायक,
ये खुदा क्यूँ उसको ताजा कवँल देता है।

-
प्रवीण तिवारी 'रौनक'



Thursday, October 20, 2011

माँ की दुवाओं का असर...

''गर देखना है मेरी माँ की दुवाओं का असर,
तो मुश्किलों में मुझसे कभी मुलाकात कर लेना।
खुद बा खुद पता चल जायेगा उन्हें, जो कहते थे,
तकलीफ हो जरा सी तो खुदा से बात कर लेना। ''
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'

Saturday, October 8, 2011

तुम्हारी एक दस्तक...

''तुम्हारी एक दस्तक ने नयी जिंदगी दी है मुझे,
इसी ख़ुशी में कई दिन गुजर गये तेरे बगैर।
कमबख्त ये आँशु फिर आगए मेरी पलकों पे,
और कहने लगे मुझसे,रुकने वाले नहीं हम उसके बगैर। ''
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'

Tuesday, October 4, 2011

रूठा है तेरा हाथ मेरे हाथ से...

''अब तो हथेलियों में सनसनाहट सी होने लगी है,
की जबसे रूठा है तेरा हाथ मेरे हाथ से।...........''
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'

Monday, October 3, 2011

चले थे डायरी लिखने शायरी लिख गए...

''सोचा की,जिंदगी के कुछ लम्हों को कैद कर लूं शब्दों में,
इसी जद्दोजहद में चले थे डायरी लिखने,शायरी लिख गए। ''
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'