Friday, December 30, 2011

बेटी न होगी फिर ये संसार भी न होगा...

''बेटी होगी फिर ये संसार भी होगा,
मात-पिता के आंशुओं का कोई खरीदार होगा
जिसकी आहट से चहेक उठती है भाई की कलाई,
वो बहन भी होगी फिर वो प्यार भी होगा। ''
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'

Saturday, December 17, 2011

जिंदगी को सजा दिया है तुमने...

''जिंदगी को सजा दिया है तुमने,
फिर क्यूँ भुला दिया है तुमने।
तुम्हारा प्यार सही इतना तो मिल गया हमको,
जिन्दगी जीने का सलीका सिखा दिया है तुमने। ''
-प्रवीण तिवारी 'रौनक


Monday, December 12, 2011

तेरे अक्स को पाया है बहुत...

''तनहा जिंदगी ने खोया है बहुत ,
तुझसे बिछड़ के कोई रोया है बहुत।
राहों में चलना भी हुआ है मुश्किल,
हर कदम तेरे अक्स को पाया है बहुत। ''
-
प्रवीण तिवारी 'रौनक'

Wednesday, December 7, 2011

मुसकुराहट चुराना सीख लिया...

''अंधेरों में हमने आशियाना बनाना सीख लिया ,
तेरी यादों से मुसकुराहट चुराना सीख लिया
तुम्हारी एक झलक ने कितनी तसल्ली दी है मुझे,
आँखों से हमने लबों को बताना सीख लिया''
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'

Tuesday, November 29, 2011

ये दूरियां न होती...

''पास होकर भी किसी के ये दूरियां होती,
हम रोते याद में उनके और ये सिसकियाँ होती।
चाहतों का दरिया हम साथ लेकर सोचते रहे,
काश! हमसे भी मोहब्बत किसी ने की होती।''
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'

Monday, November 28, 2011

खवाबों में उनका...

"खवाबों में उनका आना कम हो गया है,
मेरा देखना भी उन्हें अब गवारा नही है। "
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'

Wednesday, November 2, 2011

अकेला सा हो गया हूँ मैं...

''तुम्हारा वो पुराना साथ अब न मिलेगा मुझे,
शायद इसलिए तेरी यादों के साथ सो रहा हूँ मैं।
सच में,जबसे हुए हो दूर तुम जिंदगी से मेरी,
कैसे कहूँ की कितना अकेला सा हो गया हूँ मैं। ''
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'

Saturday, October 29, 2011

मुझे एक गलतफैमी हो गयी...

''किसी की बातों में चाहत थी इतनी,
की बस, मुझे एक गलतफैमी हो गयी।
और नींदों में भी यही हम सोचते रहे,
शायद उसे भी मुझसे मोहब्बत हो गयी। ''
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'

Sunday, October 23, 2011

मुझे वो अपना ख्याल देता है...

मेरी सारी बातों को वो दिल से निकाल देता है
बड़ी कोशिशों के बाद मुझे वो अपना हाल देता है॥

एक बात जो लबों पर बसी है, मैं उससे कहूँ कैसे,
मेरी एसी बातों को वो हंसी में टाल देता है।

तमाम लम्हें गुजारे मैंने उसे अपना बनाने में लेकिन,
मेरे हर एक जवाब पे मुझे वो कई सवाल देता है।

उसकी आहट की दीवानगी इस कदर है मेरे जेहन में,
की कही भी होता है मुझे वो अपना ख्याल देता है।

जिसकी हैसियत भी नहीं है काटों के लायक,
ये खुदा क्यूँ उसको ताजा कवँल देता है।

-
प्रवीण तिवारी 'रौनक'



Thursday, October 20, 2011

माँ की दुवाओं का असर...

''गर देखना है मेरी माँ की दुवाओं का असर,
तो मुश्किलों में मुझसे कभी मुलाकात कर लेना।
खुद बा खुद पता चल जायेगा उन्हें, जो कहते थे,
तकलीफ हो जरा सी तो खुदा से बात कर लेना। ''
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'

Saturday, October 8, 2011

तुम्हारी एक दस्तक...

''तुम्हारी एक दस्तक ने नयी जिंदगी दी है मुझे,
इसी ख़ुशी में कई दिन गुजर गये तेरे बगैर।
कमबख्त ये आँशु फिर आगए मेरी पलकों पे,
और कहने लगे मुझसे,रुकने वाले नहीं हम उसके बगैर। ''
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'

Tuesday, October 4, 2011

रूठा है तेरा हाथ मेरे हाथ से...

''अब तो हथेलियों में सनसनाहट सी होने लगी है,
की जबसे रूठा है तेरा हाथ मेरे हाथ से।...........''
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'

Monday, October 3, 2011

चले थे डायरी लिखने शायरी लिख गए...

''सोचा की,जिंदगी के कुछ लम्हों को कैद कर लूं शब्दों में,
इसी जद्दोजहद में चले थे डायरी लिखने,शायरी लिख गए। ''
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'


Thursday, September 29, 2011

लम्हों को याद कर लेते है.....

तुमसे जब कभी मुलाकात करनी होती है मुझे,
तेरे साथ बिताये लम्हों को याद कर लेते हैं।

तुमसे जब कभी बात करनी होती है मुझे,
तेरी तस्वीर को अक्सर हम पास बुला लेते हैं।

तुमसे जब कभी कोई शिकायत करनी होती है मुझे,
खुद से ही अपने जज्बात बयाँ कर लेते हैं।

तुम्हारे साथ जब कभी कुछ पल बिताना होता है मुझे,
अपने खवाबों में जाते है और तेरे साथ हो लेते हैं।..............................प्रवीण तिवारी 'रौनक'

Tuesday, September 27, 2011

अनदेखियों ने.....

''उसकी अनदेखियों ने कोरा कागज़ कर दिया मुझे
हर रोज नए प्रश्न लिखे जाते हैं मुझ पर॥ ''
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'


Wednesday, September 21, 2011

एक खूबसूरत शाम है दोस्ती...

''जीवन की एक खूबसूरत शाम है दोस्ती,
हो कैसा सफ़र गुजर जाएगा
दोस्त हैं करीब तो महसूस करतें हैं ये,
कितनी भी हो मुश्किल हल नज़र आएगा।''
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'

Monday, September 12, 2011

हमारे दरमियाँ कुछ तो बाकी है...

तुम्हारी निगाहें जब कभी, मेरे चेहरे से बात करती हैं
महसूस करता हूँ शायद, हमारे दरमियाँ कुछ तो बाक़ी है

ये हिचकियाँ जिन्हें आदत थी, बिन-बताये सासों में समाने की
आज कल यही हिचकियाँ, इज़ाज़त लेकर मेरी सासों में आती है

हर कदम पर जताना तुम्हारा,
की मुझे मोहब्बत नहीं है तुमसे।
सच मानो यूँ लगता है एक हक़,
जो था तुम पर छिन गया है मुझसे।

तुम्हारे पास ठहेरने का नशा है मुझपर।
इक तुम ख़फ़ा क्या हुई, ये उतर रहा है॥
मेरा नाम सहूलियत से पुकारना तेरा,
मानो कोई अपना अब मेरा हो रहा है।

तेरे होंठ है की मंदिर के पवित्र कपाट
छू लूं लबों से और जन्नत मिल जाये॥
मेरा साथ तुम्हारी चाहत नहीं है, मालूम है,
कह दिया जिंदगी से, अब कोई न आये।

तेरा एक पल भी मेरी आँखों से ओझल होना,

ऐसा है जैसे आँखों से रौशनी का खो जाना।
तेरी एक झलक कई अरमानों को हवा देती है।
विश्वास न हो, तो बादलों से पूछकर देख लेना॥

तुम मेरे करीब रहो या दूर रहो।
मुस्कान सदा तुम्हारी हमराही हो॥
सफलताओं के आँचल में तुम पलो ,
और विशेषता तुम्हारी अँगड़ाई हो


यादों की नजदीकियां तेरी भाती हैं मुझे,चाहती हैं
यही है शायद 'कुछ' जो हमारे दरमियाँ बाकी है॥

.............प्रवीण तिवारी 'रौनक'




















Thursday, September 8, 2011

हम बच्चे हो गए...

''मेरी माँ की मुस्कराहटों पर कई सजदे हो गए
तेरे आंचल से खेलते-खेलते माँ हम बच्चे हो गए॥
दुश्मनों को पलकों पर बैठाकर रखना चाहिए,
इन बातों को माँ की सोचते ही, हम बड़े हो गए। ''
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'

प्यार की अजमाइश नहीं की...

''मिल जाओ तुम -हमें,खुदा से ये फ़रमाइश नहीं की
कुछ पल ही सही चाहो, यही खाव्हिश थी मेरी॥
कसम खाकर कहते हैं,आपके होठों के तबस्सुम की,
कभी हमने -अपने प्यार की अजमाइश नही की।''
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'

Tuesday, September 6, 2011

दिल के आँगन में...

''दिल के आँगन में हमने एक घरोंदा बना लिया
आपकी खुबसूरत यादों को बस उसमे सजा लिया॥
चुरा ले मुझसे कोई इन बेशकीमती हीरों को,
इस डर से हमने दरीचे पर एक ताला लगा दिया। ''
- प्रवीण तिवारी 'रौनक'